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नई दिल्ली, 18 मई। बीते मंगलवार को पंजाब में 23 किसान संघठनों ने अपनी मांग मनवाने के लिए चंडीगढ़ की ओर निकल पड़े जहां उन्हें पंजाब पुलिस ने रोकने की कोशिश की। इस बीच किसानों ने राज्य सरकार के खिलाफ वहीं धरना शुरू कर दिया। और अभी स्थिति मोहाली में सिंघु बॉर्डर जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। 10 जून से धान की बुवाई, गेहूं की फसल पर बोनस देने और अन्य मांगों को लेकर पंजाब सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान राजधानी की तरफ निकले थे।



किसानों की नाराजगी यह है कि बीते मंगलवार को सीएम भगवंत मान ने उनसे बात करने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कोई बातचीत नहीं हो पाई है। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि हमने दिल्ली की तरह एक ‘मोर्चा’ शुरू किया है और तब तक जारी रहेगा जब तक कि गेहूं के लिए बोनस देने सहित हमारी विभिन्न मांगों को पूरा नहीं किया जाता है। जिस पर सीएम ने पहले सहमति व्यक्त की थी। अगर सरकार चाहती है कि हम बवाल ना करें तो अन्य फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की जानी चाहिए।
इस पूरे मामले के बाद सीएम मान का बयान भी आया है और उन्होंने पूरे प्रदर्शन को गलत और अनुचित बताया है। भगवंत मान ने कहा कि मैं किसान का बेटा हूँ और मुझे पता है कि चीजें कैसे सही करनी है, लेकिन इस समय पंजाब में पानी की कमी है जिसपर ध्यान दिया जा रहा है और इसके लिए किसानों का साथ होना बेहद जरूरी है। किसानों का कहना है कि उनकी मांग 18 मई तक पूरा किया जाए जिसपर जवाब देते हुए भगवंत मान ने 10 जून तक का समय मांगते हुए कहा कि आखिर 18 और 10 में क्या फर्क है।
हालांकि राज्य सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि किसान सरकार का एक साल तक साथ दें इस बीच किसी तरह का कुछ भी नुकसान होता है तो राज्य सरकार उसकी भरपाई करेगी। लेकिन भगवंत मान का इतना कहना पर्याप्त नहीं था इसलिए उन्हें किसानों ने चेतावनी तक दे डाली है। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री बुधवार तक प्रदर्शनकारियों के साथ बैठक नहीं करते हैं, तो वे अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करने के लिए चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे।