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इतिहास में शायद ही कभी हुआ हो जब एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य की पुलिस को ‘किडनैपर’ कहें
नई दिल्ली, 7 मई। देश की राजधानी दिल्ली, जहां 6 मई का पूरा दिन सिर्फ एक ही नाम की चर्चा हुई, तजिंदर पाल सिंह बग्गा। चर्चा भी कुछ इस तरह जो पंजाब और हरियाणा से होते हुए देश के कई राज्यों तक पहुँची। राजनीतिक गलियां भी खूब गर्म रही तो सोशल मीडिया पर भी यह नाम चर्चाओं के चरम पर था। सवाल भी उठाए गए जिसमें केंद्र सरकार से लेकर हरियाणा और पंजाब की नव नवेली सरकार भी शामिल थी। साथ ही सवाल उठाए गए पुलिस प्रशासन पर कि पुलिस या नेताओं की आर्मी! इससे भी बातें नहीं बनी तो सड़कों पर भी लोगों ने खूब नारेबाजी की। मतलब ये कि 6 मई का पूरा दिन एक हाई वोल्टेज ड्रामा से भरपूर था।

सोशल मीडिया पर भड़काऊं भाषण देने और लोगों के धार्मिक भावना को आधार बनाकर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ मोहाली में साइबर सेल ने केस दर्ज किया गया था। जिसको लेकर 5 बार नोटिस जारी किया गया था कि बग्गा इस पूरे मामले में सहयोग दें। लेकिन बाद में जब बात नहीं बनी और 6वीं बार नोटिस भेजने की नौबत आई तो खुद पंजाब के आला अधिकारी बग्गा को गिरफ्तार करने पहुँच गए दिल्ली। यह पूरा व्यक्तव्य पंजाब पुलिस का है जिनका दावा है कि उन्होंने किसी भी कानून को नहीं तोड़ा है। तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ 153-ए (धर्म, जाति, स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505 (बयान, अफवाह या रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित करना) और 506 (आपराधिक धमकी) जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पंजाब पुलिस से कहाँ हुई चूक?
6 मई को सुबह-सुबह 7 बजे पंजाब पुलिस का एक काफिला बिना दिल्ली पुलिस को सूचित किये सीधे तजिंदर बग्गा के जनकपुरी स्थित आवास पर पहुँचता है। फिर कुछ समय बीतने के बाद दो पुलिस कर्मी पहले बग्गा के घर में एंट्री करते हैं। जब तक घर वाले कुछ समझते और सवाल करते तब तक 15 अन्य पंजाब पुलिस के जवान भी घर के अंदर प्रवेश कर चुके थे। बग्गा के पिता के अनुसार,
“पंजाब पुलिस के जवानों ने घर के अंदर बैठे मेरे बेटे को उठाने लगे और जब मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने मुँह पर मुक्का मारा और मैं चिल्लाता उससे पहले ही उन्होंने मेरे मुंह में कपड़ा ठूस दिया। बग्गा जो कि उस वक़्त पगड़ी भी नहीं बांधी थी, जबरन उसे उठाकर तेजी से गाड़ी में बैठाकर निकल गए और यह सब 7 बजे के आसपास की घटना है।”
उधर पंजाब पुलिस के अधिकारियों का कहना था कि हमने जनकपुरी थाने में जाकर सूचना देना चाहा था पहले ही लेकिन कोई मिला नहीं जो एक तरह से निराधार और झूठी बयानबाजी है क्योंकि जनकपुरी थाने में कोई सूचना लेने के लिए ना हो ऐसा नहीं हो सकता। हालांकि बग्गा को गिरफ्तार कर ले जाने के बाद यानी 9.15 के आसपास पंजाब पुलिस के तीन जवान जनकपुरी थाने में जाकर इस बात की सूचना देते हैं लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी गलती थी।
हरियाणा पुलिस की हुई एंट्री!
पंजाब पुलिस द्वारा बग्गा को गिरफ्तार कर ले जाने के बाद उनके पिता प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता की उपस्थिति में पंजाब पुलिस के ऊपर अपहरण सहित कई धाराओं में जनकपुरी थाने में एफआईआर दर्ज किया गया। पंजाब पुलिस पर आईपीसी की धारा 452, 365, 342, 392, 295 / 34 IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ। जिसके बाद दिल्ली पुलिस हरियाणा पुलिस को यह सूचना देती है और हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस के काफिले को कुरुक्षेत्र में रोक दिया। थानेसर पुलिस स्टेशन पर पंजाब के ADGP शरद चौहान और दिल्ली पुलिस भी पहुँची। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने दिल्ली पुलिस को तजिंदर पाल सिंह बग्गा को सौप दी।


दिल्ली पुलिस बग्गा को लेकर दिल्ली दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित अस्पताल ले गई जहां उनका मेडिकल टेस्ट किया गया और फिर उन्हें देर रात करीब 12 बजे द्वारका कोर्ट की मजिस्ट्रेट के गुरुग्राम स्थित घर पर पेश किया गया। इससे पहले शाम 5.30 बजे के करीब दिल्ली भाजपा ने आम आदमी पार्टी के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जिसमें भाजपा ने आरोप लगाया कि
पंजाब AAP के लिए यातना गृह बन गया है। हर केस पंजाब में क्यों दर्ज हो रहे हैं? यहां तक कि दिल्ली भी मामले दर्ज कर सकती है। मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने के बाद बग्गा को राहत मिली।
भाजपा कार्यकर्ता किसी से नहीं डरता- बग्गा






दिनभर के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आखिरकार भाजपा प्रवक्ता तजिंदर बग्गा देर रात ही दिल्ली स्थित अपने घर पहुंच गए। जहां वे मीडिया से बात करने वाले थे लेकिन भीड़ की वजह से कार्यक्रम स्थगित करनी पड़ी। लेकिन कुछ निजी चैनलों से बात करते हुए बग्गा ने दिल्ली, हरियाणा और अपने समर्थकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि जो लोग पुलिस की आड़ में अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी की प्रतिशोध की भावना से सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं वे समझ जाए कि भाजपा कार्यकर्ता किसी से नहीं डरने वाले हैं। यह एक अवैध गिरफ्तारी थी लेकिन केजरीवाल जब तक कश्मीरी पंडितों से माफी नहीं मांग लेते तब तक उनके खिलाफ बोलता रहूंगा चाहे वे 100 केस दर्ज करवा दें।