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मां कात्यायनी की आराधना करने से भय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं दूर

Mata Katyayani is worshiped on Sixth Day of Navratri
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नवरात्र में 9 दिन अलग-अलग देवी माता की पूजा अर्चना कर उपासना की जाती है। नवरात्र में मां भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं। आज चैत्र नवरात्र का छठा दिन है और आज मां कात्यायनी की पूजा होती है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है। ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता। उसे स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। शास्त्रों के अनुसार देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा गोधूली वेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। मां को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इस दिन मधु यानी शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है। षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का खास महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु का प्रयोग करना चाहिए। मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी। देवी कात्यायनी का मंत्र- सरलता से अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने वाली मां कात्यायनी का उपासना मंत्र है।

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||

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