लंबी बीमारी के बाद गीतकार माया गोविंद का निधन, 1972 से इंडी पॉप तक माया ने छोड़ी अपनी छाप

JOIN OUR WHATSAPP GROUP
हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय गीतकार माया गोविंद का 82 साल की उम्र में आज मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया।
17 जनवरी 1940 को लखनऊ में जन्मी माया गोविंद ने स्नातक की शिक्षा के बाद बीएड किया। घर वाले चाहते थे कि वह शिक्षक बनें लेकिन उनकी रुचि अभिनय व रंगमंच में अधिक रही। शंभू महाराज की शिष्य रहीं माया ने कथक का खूब अभ्यास किया। साथ ही लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ से गायन का चार साल का कोर्स भी किया। माया गोविंद ऑल इंडिया रेडियो की वह ए श्रेणी की कलाकार रही हैं। माया गोविंद को बचपन से ही कविता लिखने का शौक रहा था। उन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित हुए धारावाहिक ‘महाभारत’ के लिए उन्होंने काफी गीत, दोहे और छंद लिखे। इसके अलावा ‘विष्णु पुराण’, ‘किस्मत’, ‘द्रौपदी’, ‘आप बीती’ आदि उनके चर्चित धारावाहिक रहे।
वहीं बतौर गीतकार अपना करियर 1972 में शुरू करने वाली माया गोविंद ने करीब 350 फिल्मों में गाने लिखे। 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘सावन को आने दो’ में येशुदास और सुलक्षणा पंडित के गाए गाने ‘कजरे की बाती’ ने उन्हें खूब शोहरत दिलाई। निर्माता निर्देशक आत्मा राम ने उन्हें बतौर गीतकार पहला ब्रेक दिया अपनी फिल्म ‘आरोप’ में। इस फिल्म के ‘नैनों में दर्पण है’ और ‘जब से तुमने बंसी बजाई रे’ जैसे गीतों ने माया गोविंद को रातों रात मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘बावरी’, ‘दलाल’, ‘गज गामिनी’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ और ‘हफ्ता वसूली’ जैसी तमाम बडी फिल्मों के गीत लिखे। माया गोविंद ने अपने दौर के कई दिग्गज गायकों के साथ खूब संगत जमाई। अनुराधा पौडवाल की गाई ‘परम अर्थ गीता सार’ की रचना उन्होंने ही की है। इसके अलावा अनूप जलोटा ने उनके भजन अपने अलबमों ‘भजन यात्रा’ और ‘कृष्णा’ में गाए हैं। वहीं इंडी पॉप के दौर में भी माया गोविंद पीछे नहीं रहीं। उन्होंने फाल्गुनी पाठक का सुपरहिट गीत ‘मैंने पायल है छनकाई’ उन्हीं का लिखा हुआ है।