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पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की हुई करारी हार के बाद सिख बुद्धिजीवी चिंतित हैं। सभी परेशान हैं कि 100 साल से भी ज्यादा पुरानी पार्टी का जनाधार कैसे घट रहा है। इसे लेकर लुधियाना में प्रसिद्ध सिख धार्मिक विशेषज्ञ, इतिहासकार, बुद्धिजीवी और पंथक नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में सामूहिक प्रयासों से शिरोमणि अकाली दल को फिर उसी ऊचांईयों पर ले जाने का आह्वान किया गया। इस बैठक में प्रो. पृथ्वीपाल सिंह कपूर, डॉ. एस.पी. सिंह, प्रो. गुरतेज सिंह, डॉ. गुरदर्शन सिंह ढिल्लों, एसजीपीसी सदस्य बीबी किरणजोत कौर, एस. बीर दविंदर सिंह, डॉ. स्वर्ण सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान सिख बुद्धिजीवियों ने 100 साल से अधिक पुराने शिरोमणि अकाली दल के घटते प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस संबंध में पंथक नेता परमजीत सिंह सरना ने कहा कि लोगों के बीच अकाली दल का जनाधार तेजी से घट रहा है। बादल परिवार ने शिरोमणि अकाली दल को गंभीर संकट में डाल दिया है। पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम यही बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के घटते प्रभाव के कारण सिखों ने पंजाब, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक आवाज खो दी है। हमें मिलकर फिर से शिरोमणि अकाली दल को जीवित करना कहना होगा। हमें मूल शिरोमणि अकाली दल से बादल परिवार को अलग कर फिर से खड़ा करना होगा। शिरोमणि अकाली दल पूरी तरह से पंथ के लिए प्रतिबद्ध है न कि सत्ता की राजनीति के लिए।
सरना ने सिरसा-कालका की जोड़ी पर हमला करते हुए कहा कि इन्होंने शहर के शीर्ष सिख धार्मिक प्रशासन पर गलत तरीके से कब्जा किया है। हरमीत सिंह कालका, सिरसा और अन्य गैंगस्टर कुख्यात जमीन और संपत्ति हड़पने वाले हैं। इन्हीं हथकंडों को अपनाकर उन्होंने डीएसजीएमसी की सत्ता हासिल की है। इसमें सिरसा के साथ कालका का भी हाथ है। दोनों ने मिलकर यह काम किया है। वे गुरु की गुलक को लूटने के लिए गुरु की संगत को धोखा दे रहे हैं।
सरना ने कालका और सिरसा को चुनौती दी कि अगर उनमें थोड़ी सी भी ईमानदारी है तो वह फिर से दिल्ली की संगत के लिए नए सिरे से जनादेश मांगें। “क्या वे ऐसा कर सकते हैं? हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे डीएसजीएमसी के लिए नए चुनाव करवाए और अपने चुनाव चिन्हों के साथ चुनाव लड़े, न कि किसी पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में।