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वेटिकन के संविधान में जल्द ही अभूतपूर्व बदलाव होने वाले हैं, इसका ऐलान पोप फ्रांसिस ने शनिवार को किया है।
नए संविधान के तहत बपतिस्मा (एक तरह का ईसाई संस्कार) करा चुके कोई भी कैथोलिक, चाहे वह महिला हो या पुरुष, वेटिकन के केंद्रीय प्रशासन के ज्यादातर विभागों का नेतृत्व कर सकेगा।
मालूम हो कि सैकड़ों वर्षों से इन विभागों का नेतृत्व पुरुष कर रहे थे, जो सामान्य तौर पर कार्डिनल या बिशप होते थे। इस प्रैडिकेट इवांग्लियम (प्राक्लेमिंग द गास्पेल) नामक 54 पन्नों के संविधान को तैयार करने में लगभग नौ वर्षो से ज्यादा समय लगा है।
नया संविधान पांच जून से होगा प्रभावी:

इस संविधान को पोप फ्रांसिस के पद संभालने की नौवीं वर्षगांठ जारी पर किया गया। पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2013 में पद संभाला था। नया संविधान पांच जून से प्रभावी होगा और यह पोप जान पाल द्वितीय की तरफ से वर्ष 1988 में जारी पादरी बोनस की जगह लेगा।
क्या कहता है नया कानून:
नए कानून की प्रस्तावना के अनुसार, ‘पोप, बिशप व अन्य धार्मिक पदाधिकारी ही सिर्फ चर्च के प्रचारक नहीं है। आम पुरुष व महिलाओं को भी सरकार में भूमिका और कुरिया (रोमन सीनेट भवन) में जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।’ संविधान के सिद्धांत खंड के अनुसार, ‘मत में विश्वास रखने वाला कोई भी सदस्य डाइकैस्ट्री (कुरिया के विभाग या पंचायती व्यवस्था) या संगठन का नेतृत्व कर सकता है, बशर्ते पोप यह निर्णय लें कि वह योग्य है और उसकी नियुक्ति हो सकती है।’
इसके अलावा 1988 के संविधान के अनुसार, कुछ को छोड़कर सभी विभागों का नेतृत्व कार्डिनल या बिशप करते हैं और सचिव, विशेषज्ञ व प्रशासक उनकी मदद करते हैं। नया संविधान आम पुरुष व महिला में अंतर नहीं करता, लेकिन उनकी नियुक्ति विशेष योग्यता और विभागों के संचालन की उनकी शक्ति पर निर्भर करेगा। विभागों को अपना संविधान तैयार करने की छूट भी होगी।
सिस्टर रफीला पेट्रिनी थी पहली महिला गवर्नर:
संविधान में कहा गया है कि कुरिया में आम लोगों की भूमिका आवश्यक थी ताकि लोग पारिवारिक और सामाजिक जीवन के बारे में नजदीकी जानकारी हासिल कर सकें। पिछले साल पोप फ्रांसिस ने वेटिकन सिटी के गवर्नर के रूप में सिस्टर रफीला पेट्रिनी को नामित किया था। वेटिकन सिटी में गवर्नर नंबर दो का स्थान है और इस पद पर पहुंचने वाली पेट्रिनी पहली महिला हैं।