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मतगणना से पहले सीएम धामी ने दिल्ली में डाला डेरा, उत्तराखंड में सियासी अटकलें भी शुरू

Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami is in Delhi to meet Central Leadership of the Party
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उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में उठा सियासी घमासान अभी भी शांत नहीं हुआ है। ‌ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को लेकर पार्टी के नेताओं में असंतोष है। जिससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी असहज हैं। अब एक बार फिर से सीएम धामी ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है। बता दें कि 10 मार्च को शुरू होने वाली वोटों की गिनती से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सब कुछ ठीक करना चाहते हैं। इसी इरादे से सीएम धामी मंगलवार शाम को देहरादून से दिल्ली रवाना हुए। दिल्ली में वे उत्तराखंड सदन में ठहरे हुए हैं। यहां मुख्यमंत्री भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने आए हैं। हालांकि बुधवार दोपहर तक उनकी जेपी नड्डा से मुलाकात नहीं हो सकी है। इसका कारण है कि भाजपा के अध्यक्ष नड्डा यूपी चुनाव में व्यस्त हैं। इसके साथ सीएम धामी यूक्रेन में फंसे राज्य के छात्रों को सकुशल वापसी के लिए भी राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने पहुंचे हैं । मुख्यमंत्री ने आज सुबह हालांकि बयान देते हुए कहा कि वह दिल्ली यूक्रेन से राज्य के नागरिकों की सकुशल वापसी के लिए यहां आए हुए हैं। उधर राजधानी देहरादून के राजनीतिक गलियारों में अचानक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरे को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। यह भी चर्चा है कि उत्तराखंड में प्रदेश संगठन स्तर पर भाजपा बदलाव भी कर सकती है। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री रमेश निशंक पोखरियाल और पुष्कर सिंह धामी के बीच मुलाकात के बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है। वहीं दूसरी ओर यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के चार छात्रों की घर वापसी हो गई है। यूक्रेन से अब तक उत्तराखंड के करीब 30 छात्र लौट चुके हैं। यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के छात्रों की देर से हो रही वापसी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा । इसके साथ हरीश रावत ने यूक्रेन में भारतीय छात्र की मंगलवार को हुई मौत पर दुख व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि अदूरदर्शिता और गलत नीतियों के चलते सैकड़ों भारतीय छात्र यूक्रेन में अब भी फंसे हैं। लंबे समय से रूस, यूक्रेन पर हमला करने की धमकियां दे रहा था। इसके बावजूद भारत सरकार आंखें मूंदें बैठी रही।

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