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एनएसई मामले में सीबीआई ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व समूह संचालन अधिकारी और चित्रा रामकृष्ण के सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम को गुरुवार देर रात चेन्नई से गिरफ्तार किया है।
आनंद सुब्रमण्यम पर आरोप है कि वो एनएसई के कामकाज में दखल देते थे। वो एनएसई की पूर्व सीईओ को सलाह दिया करते थे और वो उनके इशारे पर काम किया करती थीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, मामला सामने आने के बाद से केंद्रीय जांच एजेंसी आनंद सुब्रमण्यम से लगातार पूछताछ कर रही थी। उसके पास से जितने दस्तावेज जब्त किए गए थे, उनकी गंभीरता से जांच की गई। बता दें कि सुब्रमण्यम के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि सीबीआई ने चेन्नई में उसके आवास पर छापा मारा था। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आनंद सुब्रमण्यम ही हिमालयी योगी है जो एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को निर्देशित कर रहा था।
रिपोर्ट के मुताबिक, चित्रा ने खुद के निर्दोष होने का दावा किया है और उनका कहना है कि कोई उन्हें फंसा रहा है।
गौरतलब है कि बीते दिनों से एनएसई स्कैम से संबंधित खबरें चर्चा में थी कि चित्रा रामकृष्ण हिमालय में रहने वाले किसी योगी से अपने कामकाज में मदद लेती थीं। बाद में इस तरह की खबरें आईं कि वो योगी और कोई नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही थे। इस संबंध में आई रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि पूछताछ के दौरान चित्रा ने खुद के पीड़ित होने का दावा किया और खुद को कई बातों से अनजान बताया था।
क्या है पुरा मामला:
एनएसई को-लोकेशन मामला लगभग 10 साल पुराना मामला है। साल 2012 से 2014 के दौरान हुए इस घोटाले में कुछ फेवरेट ब्रोकर्स को बाकियों की तुलना में सर्वर का समय से पहले एक्सेस प्रोवाइड कराया गया था। ऐसे में तरजीही ब्रोकर्स बाकी कंपटीटर्स की तुलना में पहले ही सेकेंडरी सर्वर में लॉगइन कर लेते थे, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण डेटा का एक्सेस पब्लिक के पास जाने से पहले ही मिल जाता था। ऐसे में जिन ब्रोकर्स को यह सुविधा दी गई, वे बाकी सभी से पहले ऑर्डर प्लेस कर मुनाफा बटोर ले रहे थे।
क्या है को-लोकेशन फैसिलिटी :
को-लोकेशन घोटाले के बारे में जानने से पहले ये समझ लेना जरूरी है कि आखिर ये है क्या सिस्टम। स्टॉक एक्सचेंज में को-लोकेशन नाम की फैसिलिटी (Co-Location Facility) मुहैया कराई जाती है. यह दरअसल स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर के ठीक बगल का स्पेस होता है। यहां हाई फ्रीक्वेंसी और एल्गो ट्रेडर्स (High Frequency & Algo Traders) अपना सिस्टम लगा पाते हैं। चूंकि को-लोकेशन फैसिलिटी एक्सचेंज के सर्वर के बेहद पास होती हैं, वहां मौजूद ट्रेडर्स की लैटेंसी बेहतर हो जाती है। ऑर्डर करने के बाद उसे एक्सीक्यूट होने में लगने वाले समय को लैटेंसी कहते हैं। लैटेंसी सुधर जाने से को-लोकेशन फैसिलिटी में मौजूद ट्रेडर्स को बाकियों की तुलना में एडवांटेज मिल जाता है। एनएसई पर हुए स्कैम में पाया गया था कि ओपीजी सिक्योरिटीज नामक ब्रोकर को गलत तरीके से एक्सेस दिया गया था।