नहीं रहीं महाराष्ट्र की मदर टेरेसा सिंधुताई, दिल का दौरा पड़ने से 74 वर्ष की उम्र में निधन

हजारों अनाथों की माँ और एक महान सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का आज पुणे में 74 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
सिंधुताई लगभग डेढ़ महीने से खराब सेहत के कारण पुणे के गैलेक्सी अस्पताल में भर्ती थी, जहां आज रात करीब 10 बजे दिल का दौरा पड़ने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए सुप्रसिद्ध सिंधुताई को इस वर्ष उनके सामाजिक कार्य के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। सिंधुताई ने लगभग 2000 से अधिक अनाथ बच्चों को शरण देखकर उनकी जिंदगी बदली है।
उनका बचपन:
सिन्धुताई का जन्म 14 नवम्बर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित ‘पिंपरी मेघे’ गाँव मे एक चरवाहे परिबार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘अभिमान साठे’ था। लैंगिक भेदभाव के चलते सभी उन्हें घर में शुरू से हीं ‘चिंधी’ यानी कपड़े का फटा टुकड़ा बुलाते थे। उनकी माँ शिक्षा के खिलाफ़ थी परंतु पिता सिन्धु को पढ़ाना चाहते थे, इसलिए वे सिन्धु की माँ के खिलाफ जाकर सिन्धु को पाठशाला भेजते थे। माँ के विरोध और आर्थिक सीमाओं के कमी के कारण उनकी शिक्षा मे बाधाएँ आती रही और वे केवल चौथी कक्षा तक ही पढ़ पाई।