नागालैंड में अफ्सपा (AFSPA) को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाया

केंद्र सरकार ने संपूर्ण नागालैंड राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए वहां लागू अफ्सपा को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने नई अधिसूचना भी जारी कर दी है।
अफ्सपा (AFSPA) यानी कि सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून क्या है?
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को पहली बार 11 सितंबर 1958 को सिर्फ उग्रवादग्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों में सेना की कार्यवाही में मदद के लिए पारित किया गया था। इनके पारित होते ही यह अरुणाचल प्रदेश, असम,त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड सहित सभी पूर्वोत्तर भारत में लागू कर दिया गया था। फिर जब 1989 के आस पास जम्मू & कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों एवं प्रतिरोध बढ़ने लगा तो सन 1990 में इसे वहां भी लागू किया गया था।
यह कानून केवल उसी क्षेत्र में लागू किया जाता है जिस क्षेत्र को राज्य या केंद्र सरकार ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर देते हैं। अशांत क्षेत्र घोषित करने के बाद ही आफस्पा यानी ‘अशांत कानून’ के तहत उस क्षेत्र में सेना या सशस्त्र बलों की तैनाती की जा सकती है।
किसी राज्य या क्षेत्र को कब अशांत क्षेत घोषित किया जा सकता है?
जब देश के किसी भी राज्य या क्षेत्र में धार्मिक, जातीय , नस्लीय, भाषीय या क्षेत्रीय समूहों की विभिन्नता के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच मतभेद अत्यधिक बढ़ जाता है एवं हिंसा की स्थिति उत्पन्न होने लगती है तब ऐसी स्थिति को सँभालने के लिये केंद्र या राज्य सरकार उस क्षेत्र को “अशांत क्षेत्र” घोषित कर सकती है। किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करने से पूर्व अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरूरी है कि क्या वह क्षेत्र “डिस्टर्ब” है या नहीं। एक बार कोई क्षेत्र “डिस्टर्ब” यानी कि अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है उसके बाद वहां कम से कम 3 महीने सेना या स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है।
वहीं अगर राज्य की सरकार यह घोषणा कर दे कि अब राज्य में शांति की स्थिति है तो यह कानून अपने आप ही वापस हो जाता है और सेना को उस राज्य या क्षेत से हटा लिया जाता है।
अफ्सपा यानी सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून में सशस्त्र बलों के अधिकारी को क्या-क्या शक्तियां मिलती हैं?
अफ्सपा कानून का सबसे बड़ा विरोध का कारण भी यही है कि इसमें सशस्त्र बलों को अत्यधिक शक्तियां दी जाती हैं, जैसे की:
- किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
- सशस्त्र बल बिना किसी वारंट के किसी भी घर की तलाशी ले सकते हैं एवं जरूरत पड़ने पर इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति अशांति फैलाता है और बार बार कानून तोड़ता है तो सशस्त्र बलों द्वारा मृत्यु तक बल का प्रयोग कर किया जा सकता है।
- यदि सशस्त्र बलों को अंदेशा है कि विद्रोही या उपद्रवी किसी घर या अन्य भवन में छुपे हुए हैं (जहां से हथियार
बंद हमले का करने का अनुमान हो सकता है) तो उस जगह या ढांचे को तबाह किया जा सकता है। - किसी भी वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।
- सशस्त्र बलों द्वारा गलत कार्यवाही करने की दशा में भी, उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही नही की जाती है।
यहां आपको बताते चलूं की इस अफ्सपा कानून पर समय-समय पर कई सवाल उठे हैं एवं 60 साल के इतिहास में कितनी ही दफा इसे एवं इसके गलत इस्तेमाल की वजह से सवालों के कटघरे में शामिल किया गया है। कुछ लोगों का मानना है कि इसी की वजह से अशांत प्रदेशों में शांति आई है वहीं कई अन्य इसके खिलाफ हैं क्योंकि यह इस देश के आम नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन करती है।
फिलहाल गृह मंत्रालय की नई अधिसूचना के बाद नागालैंड में अगले 6 महीने तक इस अफ्सपा अर्थात सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून को बढ़ा दिया गया है