
यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर भाजपा-सपा में आठ दिन का ‘ताल ठोक’ शुरू

आज से उत्तर प्रदेश की सियासत में आठ दिन के लिए हलचल फिर शुरू हो गई है । इस ‘रण’ में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ‘मिशन 22’ से पहले यह चुनावी मैदान की ‘आखिरी बाजी’ है । पिछले महीने मई में जिला पंचायत चुनाव के परिणामों से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ‘गदगद’ हैं तो दूसरी ओर भाजपा ने हार का सबक लेते हुए इस बार ‘आक्रामक रणनीति’ बनाई है । आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बार फिर सियासी ‘गहमागहमी’ तेज है । हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव की। प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज यानी 26 जून से नामांकन शुरू हो गए हैं । बता दें कि 3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष के मतदान होंगे और उसी दिन परिणाम भी आ जाएंगे । ‘भाजपा संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह के साथ योगी सरकार की बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ’60 सीटें’ जीतने का टारगेट किया गया है। ‘इसी को लेकर योगी सरकार के मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्र में नामांकन के दौरान मौजूद हैं’ । इन चुनाव के नामांकन से लेकर वोटिंग प्रक्रिया से पहले तक योगी सरकार के मंत्रियों को अपने उम्मीदवारों का हौसला बढ़ाने और जीतने की रणनीति बनाने के लिए लगाया गया है। इसके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सभी 75 जिलों में नजर लगाए हुए हैं। एक तरफ भाजपा प्रदेश नेतृत्व की तैयारी ज्यादातर सीटें जीतने पर है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में जोर-शोर से अपनी ‘ताल ठोक’ रही है । पिछले दिनों अखिलेश यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में ओबीसी और मुसलमानों के प्रत्याशियों पर ‘दांव’ लगाया है।
विधानसभा चुनाव से पहले ये चुनाव योगी सरकार के लिए नाक का सवाल बने—
यहां हम आपको बता दें कि ‘अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव खासतौर से योगी सरकार के लिए नाक का सवाल बना हुए है, क्योंकि इस बार भाजपा ने जिस आक्रामक ढंग से पंचायत चुनाव लड़ा था नतीजे उसके अनुरूप नहीं आए थे’। गौरतलब है कि बीजेपी से ज्यादा निर्दलीय जीते थे और भाजपा तीसरे नंबर पर सपा के बाद चली गई थी। ‘पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने पर ही योगी सरकार डेढ़ महीने तक खूब उथल-पुथल मचा रहा, योगी सरकार के कई मंत्रियों में आपसी तनातनी भी देखी गई’। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व भी योगी सरकार से ‘खुश’ नहीं था । लेकिन हाईकमान की ओर से दावा किया जा रहा है कि सब कुछ ठीक है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले यह जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव जितना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी हैं । अगर इन चुनावों में भाजपा के पक्ष में परिणाम नहीं आते हैं तो योगी सरकार पर एक बार फिर ‘सवाल’ उठेंगे। यूपी के करीब-करीब सभी सीटों पर बीजेपी और सपा ने अपने-अपने कैंडिडेट उतारे हैं और दोनों दल के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी को कड़ा मुकाबला देना चाहती है। सपा ने भी 50 सीटें जीतने का टारगेट बनाया है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और सपा इस चुनाव को लेकर काफी गंभीर हैं और किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं । अब इंतजार 3 जुलाई का है, जब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाएंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित हो जाएंगे। आज से आठ दिनों तक उत्तर प्रदेश की सियासत में इन चुनाव को लेकर खूब उठापटक देखने को मिलेगी।