

जब से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक हादसे में चोट का शिकार हुईं हैं तभी से वह सियासी तौर पर मजबूत होती चली जा रहीं हैं । अभी तक भाजपा तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में मिलाकर ममता बनर्जी की ‘सियासत को कमजोर’ करने में लगे हुई है । शुभेंद्र अधिकारी, दिनेश त्रिवेदी से लेकर कई बड़े नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपाई बना डाला । बंगाल के चुनाव में भाजपा इन्हीं तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के सहारे बंगाल के सिंहासन पर ‘भगवा’ लहराना चाहती है । लेकिन आज पूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा टीएमसी में शामिल हो गए । सिन्हा ममता के साथ ऐसे मौके पर आए हैं जब तृणमूल कांग्रेस को ‘भाजपा की अंदरूनी कमियों’ को जानने की जरूरत थी । यशवंत सिन्हा चुनाव में अब ‘दीदी के दूत’ के रूप में दिखाई पड़ने वाले हैं । शनिवार को तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद यशवंत सिन्हा ने पहले दिन ही भाजपा पर हमले करने शुरू कर दिए। सिन्हा ने कोलकाता में कहा कि किस तरह से अटल जी के समय ही बीजेपी और आज की बीजेपी में बदलाव आया है। उन्होंने कहा पहले भारतीय जनता पार्टी सबको एक साथ मिलाकर आगे बढ़ने में भरोसा करती थी। लेकिन आज यह पार्टी दूसरों को कुचल कर आगे की नीति पर चल रही है। इसके साथ ही एनडीए सरकार के दौरान जब ‘कंधार अपहरण कांड’ हुआ तो ममता बनर्जी ने क्या कुछ कहा था यशवंत ने उसे भी बताया। सिन्हा ने कहा कि कंधार हाईजैक के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सामने चुनौती यह थी कि किस तरह से उस मामले से निपटा जाए। कैबिनेट की बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि यात्रियों की रिहाई के लिए वो खुद ‘होस्टेज’ बनने के लिए तैयार हैं। सिन्हा ने कहा कि उस समय दीदी का कहना था कि अगर यात्रियों की रिहाई के लिए उनकी जान भी चली जाए तो गम नहीं है। यशवंत सिन्हा के आक्रामक तेवरों से भाजपा खेमेे में बेचैनी जरूर बढ़ा दी है। वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस छोड़कर गए उनके नेताओं की यशवंत सिन्हा के रूप में कुछ तो भरपाई हो सकेगी । हालांकि अभी तक यशवंत सिन्हा के बयान पर किसी भाजपा नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है ।