
न भूख , न प्यास न धूप और ना ही छाँव की चिंता है। इनकी तो बस सरकार से एक ही गुजारिश है कि साधन या भोजन न सही , कम से कम रास्ते ही खोल दें। बस जीते जी अपने घर पहुंचना चाहते हैं ये लोग।
न भूख , न प्यास न धूप और ना ही छाँव की चिंता है। इनकी तो बस सरकार से एक ही गुजारिश है कि साधन या भोजन न सही , कम से कम रास्ते ही खोल दें। बस जीते जी अपने घर पहुंचना चाहते हैं ये लोग।