
COVID 19 के संक्रमण और महामारी के अलावा देश में रहने वाले लोग बेरोजगारी की महामारी को भी झेलने के लिए मजबूर हो गए हैं।लगातार लंबे चल रहे लॉक डाउन के कारण देश की अर्थवयवस्था के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र इस से काफी प्रभावित हुए हैं।इसके अलावा दूसरी ओर सबसे बड़ा संकट रोजगार के क्षेत्र में सामने आया है।आपको बता दें कि निजी क्षेत्र प्रमुख थिंक टैंक ने अपने सर्वे में बताया है कि इस लॉक डाउन की वज़ह से भारत में पिछ्ले महीने अप्रैल में 12 करोड़ 20 लाख लोग बेरोजगार हो गए है और पिछले 40 दिनों के लॉक डाउन के बाद लगभग 130 करोड़ आबादी वाले देश में कई उद्योग बंद हो गए हैं। लॉक डाउन के दूसरे चरण 3 मई को समाप्त होते होते देश में बेरोजगारी दर 27.11% पर पहुंच गई है।
सेंटर फॉर मॉनिटारिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के सर्वे के मुताबिक इस लॉक डाउन का सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को झटका लगा है। इनमें फेरीवाले, सड़क के किनारे दुकाने लगाने वाले, निर्माण उद्योग में काम करने वाले श्रमिक और रिक्शा चलाकर पेट भरने वाले लोग शामिल हैं।
और भी बढ़ सकते हैं आंकड़े….
भारत में तीसरी बार लॉकडाउन के इस 14 दिनों चरण में बेरोजगारी दर और भी बढ़ने की संभावनाएं हैं खाश कर रेड जोन रहने वाले क्षेत्रों में।क्यों की अभी भी इन क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों में ठहराव है मुंबई ,दिल्ली और उत्तरप्रदेश केंद्रों में अभी भी भारी संख्या में नौकरियों की जाने की संभावना बनी हुई है।
राज्यों के बेरोजगारी दर के आंकड़े….
आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के अंत में दक्षिण भारत में पुद्दुचेरी में सबसे अधिक 75.8 प्रतिशत बेरोजगारी थी। इसके बाद तमिलनाडु में 49.8 प्रतिशत, झारखंड में 47.1 प्रतिशत और बिहार में 46.6 प्रतिशत बेरोजगारी दर रही वहीं महाराष्ट्र में बेरोजगारी दर 20.9 प्रतिशत थी। हरियाणा में 43.2 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 21.5 प्रतिशत और कर्नाटक में 29.8 प्रतिशत थी।पहाड़ी राज्यों में बेरोजगारी की दर की बात करें तो काफी कम रही है,हिमाचल प्रदेश में यह दर 2.2 प्रतिशत, सिक्किम में 2.3 प्रतिशत और उत्तराखंड में 6.5 प्रतिशत रही।