कल यानी 3 मई को लॉक डाउन का दूसरा चरण भी समाप्त होने वाला है और तीसरी बार 14 दिनों की लॉक डाउन का तीसरा चरण भी शुरू होने वाला है। लेकिन क्या आपको पता है लगातार 40 दिनों से चल रहे लॉक डाउन की वज़ह से आज पूरे देश में नकदी कि समस्या सबसे ज्यादा सामने आ रही है। एक सर्वे के दौरान यह पता लगाया गया था कि भारत में कई अकाउंट धारक अपने पीएफ अकाउंट से पैसे निकाल रहें हैं। इसके साथ साथ देखा जा रहा है कि कई बैंक अपने क्रेडिट कार्ड्स कि लिमिट्स भी कम कर रहें हैं क्यों कि उनका मानना है कि अगर नगदी कि समस्या रही तो लोग कार्ड का पेमेंट समय पर नहीं कर पाएंगे। ऐसा नहीं कि यह पहली बार हुआ है जब आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाई गई है, क्यों की आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट आपकी आमदनी और क्रेडिट हिस्ट्री पर निर्भर करती है । लेकिन इस बार जिस तरह से COVID 19 का असर भारत पर ही नहीं पूरे विश्व पर है तो बैंकें और भी सतर्क हो गई हैं। हालाकि इस दौरान क्रेडिट कार्ड के पेमेंट में 3 महीने तक ना देने का ऑप्शन भी शामिल है लेकिन इसमें आपको क्रेडिट कार्ड के बिल के साथ उसका ब्याज भी देना पड़ेगा।
इस नकदी की समस्या को देखते हुए आरबीआई ने कई नए कदम भी उठाए हैं और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास वित्तीय क्षेत्र की स्थिति का जायजा लेने और कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न संकट के बीच उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने वाले नए निर्णयों पर चर्चा करने के लिए बैंकों के प्रमुखों के साथ आज बैठक भी बुलाई है। आरबीआई के द्वारा रिजर्व बैंक ने कर्जदारों, ऋणदाताओं और म्यूचुअल फंड सहित अन्य संस्थाओं के दबाव को कम करने के लिए कई कदमों की घोषणा की है तथा जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पहल का वादा भी किया है, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या तीसरी लॉक डाउन की आर्थिक मार आम आदमी सह पायेगा?अब सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा यह कोशिश की जा रही है कि इस संकट से जूझ रहे छोटे एवं मध्यम उद्योग तथा ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं का समाधान किसी तरह निकाल सके। इसके अलावा आरबीआई ने ऋण और ब्याज के दरों में भी कटौती की गई है ताकि जो लोग इस लॉक डाउन की वज़ह से परेशान हैं उन पर COVID 19 की आर्थिक मंदी और हावी ना हो सके और वो तीसरे लॉक डाउन के चरण को झेल लें।
