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राजनीति में महिलाओं की भागीदारी

कहा जाता है कि एक महिला अपने परिवार को बहुत अच्छी तरह से सम्हाल सकती है और शायद यह हम सब हर कोई अपने घरों में देखते हैं। सैकड़ो साल से यह चला आ रहा है कि पुरुष बाहर का काम देखते हैं ,पैसे कमाते हैं और महिलायें अपनी घर गृहस्थी देखती हैं,अपने परिवार ,अपने बच्चों की देखभाल करती हैं।लेकिन आज समय बदल रहा है ,और जो महिलायें घर की चार दीवारी तक सीमित थी वह आज आगे बढ़कर पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहीं हैं वो परिवार की जिम्मेवारियों के साथ साथ अपना काम भी करती हैं।आज के दौर में एक महिला एक माँ,एक बहन,एक पत्नी के साथ साथ एक अच्छी कर्मचारी भी हो सकती है।

जिस तरह आज के आधुनिक युग में महिलाओं ने अपनी योग्यता घर के साथ साथ बाहर भी लोगों को दिखाया है वह आदित्य है। आज की नारी हर क्षेत्र में चाहे वो फिल्म हो,राजनीति हो,या फिर विज्ञान ओद्योगिक हर तरफ अपना परचम लहरा रही हैं और यह साबित कर दिखा रही हैं कि वो पुरुषों के मुकाबले कहीं कम नहीं हैं। फिल्म के क्षेत्र में मधुबाला हो या मीणा कुमारी ,या आज की दीपिका पादुकोण बिना महिला अदाकारा के कोई भी फिल्म पर्दे पर 70 की दशक से आज तक नहीं दिखी।

आज एक महिला एक परिवार के साथ साथ एक समुदाय या एक वर्ग ही नहीं पूरे देश को व्यवस्थित रूप से चलाने में कुशल होती है और यह हम सब ने माना है और इसका ही साक्षात् उदाहरण हम आज देख रहें हैं कि जिस तरह आज पूरा विश्व कोविड-19 की वैश्विक महामारी से परेशान है और इस से बचाव के लिए कई योजनाएं बना रहा है , वहीं न्यूज़ीलैंड ,जर्मनी ,ताइवान से लेकर नॉर्वे तक दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां की नेतृत्व का कमान महिलाओं के हाथ में है वहां बाकी देशों की अपेक्षा इस महामारी का असर काफी कम और नियंत्रित है और आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इन देशों में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बाकी देशों की अपेक्षाकृत कम है।विश्व के प्रसिद्ध मैगजीन फ़ोर्ब्स मैगज़ीन ने हाल ही में एक लेख में इन महिला नेताओं को ‘नेतृत्व का सच्चा उदाहरण’ कहा है,और इसके साथ साथ यह भी कहा कि इन महिलाओं ने दुनिया को दिखाया है कि इसे कैसे सुधारा जा सकता है।

इंटरपार्लियामेंट्रीय यूनियन के अनुसार, दुनिया भर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितने लोग काम करते हैं, उनमें 70 फ़ीसदी महिलाएं हैं लेकिन साल 2018 में 153 निर्वाचित राष्ट्राध्यक्षों में महज 10 ही महिलाएं हैं।दुनिया भर में जितने भी संसद हैं उनकी एक चौथाई संदस्य महिलाएं हैं।भारत में भी स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज़ाद सरकार चलाने तक में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका और पहल अहम रही है।लेकिन इसके बावजूद जब राजनीति में महिला भागीदारी की बात आती है तो आंकड़ें काफी कम हैं।आज भी भारत में महिलाओं के काबिल होने के बावजूद उन्हें मौका नहीं मिलता है। महिलाओं में अकसर पुरुषों से बेहतर लीडरशीप क्वालिटी देखी जाती है इसके बावजूद उन्हें कम ही आंका जाता है।

आज जरूरत है अपने विचारों में बदलाव लाने की और हर क्षेत्र की तरह राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी स्वीकार करने की ताकि विकसित देशों की तरह भारत में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़े और समाज को एक नई ऊंचाई।

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