
आज पूरा विश्व कोविड़19 की महामारी और कहर से गुजर रहा है। विश्व के लगभग 200 देश आज इसकी चपेट में आ चुके हैं । पूरा विश्व इस महामारी से निकलने की पूरी कोशिश में लगा है। विश्व के लगभग 2.6 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं वहीं 187,000 लोगों की जानें जा चुकी हैं।जब विश्व के बड़े और विकसित देश इस बीमारी से नहीं बच सकें ,तो भारत कैसे इस महामारी से अछूता रह सकता था। भारत में मार्च महीने से कोविड़ 19 का असर लोगों पर दिख रहा है। सरकार ने इस बढ़ती महामारी और इसके संक्रमण को देखते हुए भारत में लॉक डाउन की घोषणा करवा दी ताकि लोग अपने अपने घरों ने रहें और सोशल डिस्टेनसिंग का पालन हो और इसका संक्रमण ना फैले। लेकिन इस लॉक डाउन के नियमों का पालन ने कोरोना वायरस से बचने लिए तो लोगों को तैयार कर दिया लेकिन इनकी आर्थिक स्थिति और रोजगार,व्यवसाय को ना बचा पाई।
लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर अनौपचारिक छेत्र पर पड़ा है ,और हमारी अर्थव्यवस्था का लगभग 50 प्रतिशत अनौचारिक छेत्र से ही आता है। लेकिन यह छेत्र लॉक डाउन के दौरान को काम नहीं कर सके। छोटी बड़ी कंपनियां आज घाटे ने जा रही हैं क्यों कि उन्हें ना ही कंपनी को खोलने की अनुमति है ना ही काम करने की जिस से कई नई के साथ पुरानी कंपनियां घाटे में जा चुकी हैं।वहीं दूसरी ओर जब हम घर पर बैठते हैं,तब टैक्सी बिज़नेस, होटल सेक्टर, रेस्टोरेंट्स, फ़िल्म, मल्टीप्लेक्स सभी छेत्र इस से प्रभावित होते हैं. जिस सर्विस के लिए लोगों को बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती थी उस पर आज काफी गहरा असर पड़ा है।
भारत के लगभग 57 प्रतिशत संगठनों ने अगले छह महीनों में अपने कारोबार पर बुरे प्रभाव की संभावनाएं जताई है उनका मानना है कि इस महामारी का प्रभाव 12 महीने तक रह सकते हैं।
हाल ही में विश्व बैंक ने अपने द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा है कि कोवीड 19 की वज़ह से पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लगभग 11 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे आ सकते हैं। आने वाले दिनों में पूरे विश्व में लगभग ढ़ाई करोड़ नौकरियां खतरे में हैं ।इस दौरान करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेगें और इसका सीधा असर हमारे अर्थ्यवस्था को पहुंचने वाली है। समय है अब इसके रोकथाम का ,और एक कड़ा कदम उठाने की, उद्योगों में लोगों की मदद करने की ताकि 2008 केली आर्थिक मंदी का दौर पर से वापस ना आए।